रोज़ा रखने की दुआ: आज हम जानेंगे कि सेहरी करना और रोज़ा रखना इस्लाम में क्यों ज़रूरी है। हमारे मज़हब इस्लाम में पाँच इबादतें हैं जो हर मुसलमान पर फर्ज़ हैं। रोज़ा भी उनमें से एक है, जो हर मुसलमान मर्द और औरत पर फर्ज़ है। वैसे तो रोज़ा फर्ज़ भी है और नफ़िल भी, लेकिन अल्लाह तआला ने रमज़ान के रोज़ों को फर्ज़ क़रार दिया है।
रोज़ा रखने के लिए हमें सेहरी करनी होती है जो रात के आख़िरी हिस्से में की जाती है। सेहरी और रोज़ा रखने की कोई मक़सूस (ख़ास) दुआ नहीं है, मगर आमाल का दारोमदार नीयत पर होता है। फिर भी, कुछ मस्नून दुआएं हैं जो पढ़ी जाती हैं।
सेहरी करते वक़्त की दुआ

सेहरी एक बरकत वाला अमल है, इसलिए अगर भूख न भी हो, तो भी सुन्नत पर अमल करते हुए कुछ न कुछ ज़रूर खाना चाहिए। सेहरी के वक़्त ज़्यादा से ज़्यादा दुआएं करनी चाहिए, क्योंकि यह वक़्त क़बूलियत का होता है। इस वजह से सेहरी खाने से पहले माक़ूल दुआओं का एहतमाम करना चाहिए।
अगर किसी उज्र की वजह से रोज़ा नहीं रख रहे हैं, तब भी रोज़ेदारों के साथ शामिल होना बरकत है। सेहरी के दौरान इस बात का भी ख़याल रखें कि पेट भरकर न खाएं, बल्कि थोड़ा पेट ख़ाली रखें, ताकि इबादत में कोई परेशानी न हो और रोज़ा आसानी से रखा जा सके।
सेहरी की सुन्नत और हदीस
- रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सेहरी खाओ, क्योंकि सेहरी में बरकत है।” (सहीह बुख़ारी: 1923, सहीह मुस्लिम: 1095) - हज़रत अम्र बिन अल-आस रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“हमारे और अहल-ए-किताब के रोज़ों का फ़र्क सेहरी खाना है।” (सहीह मुस्लिम: 1096) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“अल्लाह और उसके फ़रिश्ते सेहरी करने वालों पर रहमत भेजते हैं।” (मुस्नद अहमद: 11003) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सेहरी पूरी की पूरी बरकत है। बस तुम ना छोड़ो, चाहे यही हो कि तुम पानी का एक घूंट पी लो।” (मुस्नद अहमद: 11396) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“खजूर मोमिन की बेहतरीन सेहरी है।” (सुनन अबू दाऊद: 2345) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“मेरी उम्मत हमेशा ख़ैर पर रहेगी जब तक इफ़्तार में जल्दी करेगी और सेहरी में ताख़ीर करेगी।” (मुस्नद अहमद: 11396) - हज़रत जाबिर रज़ि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि:
“एक दफ़ा रमज़ान में रसूलुल्लाह ﷺ ने मुझे अपने साथ सेहरी खाने के लिए बुलाया और फ़रमाया: ‘आओ मुबारक नाश्ते के लिए।’” (सुनन अबू दाऊद: 2344) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सेहरी का खाना बरकत है, इसलिए उसको ना छोड़ा करो, चाहे पानी का एक घूंट ही पी लो।” (मुस्नद अहमद: 11396) - रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“तीन आदमी, जितना भी खा लें इंशाअल्लाह उनसे कोई हिसाब न होगा:
1. रोज़ेदार इफ़्तार के वक़्त
2. सेहरी खाने वाला
3. मुजाहिद, जो अल्लाह के रास्ते में सरहद-ए-इस्लाम की हिफ़ाज़त करे।”** (अत-तरग़ीब वत-तरहीब: 2/90)
FAQ
सेहरी करना क्यों ज़रूरी है?
रमज़ान मुबारक में रोज़ा रखने के लिए सेहरी करना बहुत ज़रूरी है। सेहरी खाना हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है।
सेहरी कब की जाती है?
सेहरी रात के आख़िरी हिस्से में की जाती है।
रोज़ा रखने की दुआ कौन-सी है?
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
सेहरी में क्या खाना चाहिए?
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“खजूर मोमिन की बेहतरीन सेहरी है।” (सुनन अबू दाऊद: 2345)